बृहस्पतिदेव की कथा काशी में जाके विराजे देखो तीनो लोक के स्वामी वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥ श्री शिवजी की कुछ मनभावन भजनों का नाम नीचे https://emilianoyddec.ouyawiki.com/1029702/the_basic_principles_of_shiv_chaisa