होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥ सब सुख लहै तुह्मारी सरना । नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं । मंगल भवन अमंगलहारी द्रवहु सो दशरथ अजिर विहारी। You could pay a visit to a Hanuman https://christiank764vgp4.bcbloggers.com/34675723/an-unbiased-view-of-hanuman-chalisa